प्रश्न 9. स्व-अयोग्यता क्या है ? स्व-अयोग्यता वाली प्रजातियों में स्व-परागण प्रक्रिया बीज की रचना तक क्यों नहीं पहुँच पाती है ?
उत्तर : स्वअयोग्यता (Incompatiblity) – परागण द्वारा परागकोश से परागकण वर्तिकान पर पहुँचते हैं, परन्तु परागण द्वारा यह सुनिश्चित नहीं होता कि एक जाति विशेष के परागकण उसी जाति विशेष के पुष्प के वर्तिकान पर पहुंचेंगे। सामान्यतया विभिन्न प्रकार के परागकण वर्तिकान पर पहुंचते हैं। स्त्रीकेसर में सही प्रकार के परागकणों को पहचानने की क्षमता होती है। सही प्रकार अर्थात् उसी प्रजाति के परागकणों को स्त्रीकेसर स्वीकार कर लेता है और परागण-पश्च घटना (post-pollination process) को प्रोत्साहित करता है जिसके फलस्वरूप निषेचन होता है।
भिन्न प्रजाति के परागकणों के स्त्रीकेसर पर पहुंचने पर परागकणों का अंकुरण नहीं होता। यदि परागकणों का अंकुरण हो जाता है तो पराग नलिका वर्तिका में प्रवेश नहीं कर पाती अर्थात् स्त्रीकेसर परागकण को अस्वीकार कर देता है।
एक स्त्रीकेसर द्वारा परागकण को पहचानने की सक्षमता उसकी स्वीकृति या अस्वीकृति द्वारा अनुपालित होती है जो परागकणों और स्त्रीकेसर के बीच निरन्तर संवाद का परिणाम है। यह संवाद परागकण एवं स्त्रीकेसर के मध्य रसायनों की परस्पर क्रिया के कारण होता है।
अनेक द्विलिंगी पुष्पों में स्वबन्ध्यता या स्वअयोग्यता का गुण होता है। इसलिए जब एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प या उसी पौधे के अन्य पुष्पों के वर्तिकान पर पहुंचते हैं तो परागकणों का अंकुरण नहीं होता अतः निषेचन की अनुपस्थिति में इससे इन पौधों में बीज निर्माण नहीं होता है |
स्व-अयोग्यता क्या है ? स्व-अयोग्यता वाली प्रजातियों में स्व-परागण प्रक्रिया बीज की रचना तक क्यों नहीं पहुँच पाती है ?
Biology June 27, 2022