observe polarisation of light using two polaroids in hindi ?

क्रियाकलाप (Activity)
उद्देश्य (object) – दो पोलेराइड़ो का उपयोग करके प्रकाश का ध्रुवण प्रेक्षित करना।
उपकरण (Apparatus)-प्रकाशीय बेंच (तीन स्टैण्ड युक्त), एक प्रकाश स्त्रोत, दो पोलेराइड, लम्बा संकेतक तथा डिग्री में अंशांकित वृत्ताकार पैमाना।
सिद्धान्त (Theory)-अधुवित प्रकाश में प्रकाश सदिश (विद्युत क्षेत्र सदिश) के कम्पन तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् सभी संभव दिशाओं में विद्यमान होते हैं जबकि धुवित प्रकाश में ये कम्पन केवल एक दिशा में सीमित होते है।
पोलेराइड, तीव्र द्विवर्णक क्रिस्टलों से बनी एक ऐसी युक्ति है जो धुवित प्रकाश उत्पन्न करने तथा प्रकाश के वण को संसूचित करने दोनों में सरलता से प्रयुक्त की जा सकती है।
ध्रुवक पोलेराइड एवं संसूचक पोलेराइड की प्रकाशीय अक्षों के मध्य कोण θ होने पर धुवक एवं संसूचक से निर्गत प्रकाश की तीव्रता मैलेस नियम से,
I = I0 cos2 θ जहाँ I0 = अधिकतम तीव्रता है।

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(A) समान्तरित व्यवस्था-जब दोनों पोलेराइड की अक्ष परस्पर समान्तर हैं तो θ = 0, cos 0 = 1
निर्गत प्रकाश की तीव्रता I = I0 (अधिकतम)
(B) क्रॉसित व्यवस्था-जब दोनों पोलेराइड की अक्ष परस्पर लम्बवत् हैं तो θ = 90°, cos 90° = 0
निर्गत प्रकाश की तीव्रता I = 0 (शून्य)
(पृष्ठ 184 पर बताई गई विधि के अनुसार प्रयोग कर प्रेक्षणों को निम्नानुसार नोट करें)
प्रेक्षण (observations) –
क्र.स. ध्रुवक एवं विश्लेषक पोलेराइड़ो की अक्षों के मध्य कोण 𝛉 पारगमित प्रकाश की तीव्रता
1 0° अधिकतम
2 0° से 90° तक परिवर्तित करने पर घटती है
3 90° शून्य
4 90° से 180° तक परिवर्तित करने पर बढ़ती है
5 180° अधिकतम
6 180° से 270 तक परिवर्तित करने पर घटती है
7 270° शून्य
8 270° से 360° तक परिवर्तित करने पर बढ़ती है
9 360° या पुनः 0° अधिकतम
परिणाम (Result) – विश्लेषक पोलेराइड के एक पूर्ण चक्र में निर्गत प्रकाश की तीव्रता दो बार अधिकतम तथा दो बार शून्य प्राप्त होती है अतः ध्रुवक पोलेराइड से निर्गत प्रकाश समतल ध्रुवित है।
क्रियाकलाप (Activity)-5.
उद्देश्य (Object) : एक मोमबत्ती एवं एक पर्दे का उपयोग कर उत्तल लेंस द्वारा बने, मोमबत्ती के प्रतिबिम्ब का प्रकृति तथा आकार का अध्ययन करना जबकि मोमबत्ती उत्तल लेंस से भिन्न-भिन्न दूरियों पर स्थित हो।
उपकरण (Apparatus) – एक उत्तल लेंस, एक प्रकाशीय बेंच जिसमें तीन ऊर्ध्व स्टैण्ड लगे हों, मोमबत्ती, कोई बोर्ड का पर्दा
आदि।
किरण चित्र (Ray Diagram)
उत्तल लेंस द्वारा प्रतिबिम्ब निर्माण
सिद्धान्त (Theory)-किसी लेंस के लिए यदि बिम्ब दूरी u , फोकस दूरी f तथा प्रतिबिम्ब दूरी v है तब
1/u-1/u = 1/f …..(1)
अतः जब उत्तल लेंस के लिए
(i) u = ∞ (अनन्त) तब v = f (प्रतिबिम्ब फोकस पर बनता है) ।
(ii) u = 2f तब v = 2f (प्रतिबिम्ब 2 िस्थिति पर बनता है)
(iii) u = -f तब v = ∞ (प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनता है)
(iv) u < (-f) तब v = ऋणात्मक मान (आभासी प्रतिबिम्ब)
अतः उत्तल लेंस के लिए जैसे-जैसे वस्तु को अनन्त दूरी से लेंस की ओर खिसकाया जाता है वस्तु का प्रतिबिम्ब फोकस से अनन्त की ओर खिसकता है तथा जब वस्तु की दूरी लेंस की फोकस दूरी से कम हो जाती है तब प्रतिबिम्ब आभासी प्राप्त होता है जो कि पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।
प्रेक्षण (observations)
क्र.
सं. वस्तु की स्थिति प्रतिबिम्ब की स्थिति, प्रकृति व आकार
स्थिति प्रकृति आकार
1. बहुत दूर f पर वास्तविक, उल्टा अत्यन्त छोटा
2. 2f से प रेf व 2f के बीच वास्तविक, उल्टा छोटा
3. 2f पर 2f पर वास्तविक, उल्टा बराबर
4.f व 2f के बीच 2f से परे उल्टा वास्तविक बड़ा
5.f से थोड़ा परे बहुत दूर वास्तविक, उल्टा बहुत बड़ा
निष्कर्ष (Conclusion)- स्पष्टतः उत्तल लेंस से प्राप्त प्रतिबिम्ब की प्रकृति एवं आकार, वस्तु की लेंस से दूरी पर निर्भर करते हैं।

क्रियाकलाप (Activity)-2
उद्देश्य (object)- एक डायोड, एक LED , एक ट्रांजिस्टर, IC , एक प्रतिरोध तथा एक संधारित्र के समूह में से अलग-अलग अवयव पहचानना।
उपकरण (Apparatus) – दिये गये अवयव जैसे-डायोड, LED, ट्रांजिस्टर, IC , प्रतिरोध तथा संधारित्र, एक बैटरी, कुंजी, परिवर्ती प्रतिरोध तथा मिली-अमीटर (या मल्टीमीटर)।
परिपथ चित्र (Circuit Diagram) :
प्रेक्षण एवं निष्कर्ष (Observations & Conclusion):
क्रम संख्या प्रेक्षण निष्कर्ष
1.
2.
3.

4.
5.

6. अवयव 1 अनेक टर्मिनलों युक्त है।
अवयव 2 में तीन टर्मिनल हैं।
अवयव 3 में केवल एक दिशा में धारा प्रवाहित होती है तथा यह प्रकाश उत्सर्जन नहीं करता है;
अवयव 4 में कवेल एक दिशा में धारा प्रवाहित होती हैं तथा यह प्रकाश उत्सर्जन करता है।
अवयव 5 में दोनों दिशाओं में धारा प्रवाहित करने पर धारा प्रवाहित होती है तथा दोनों दिशाओं में मिली अमीटर का विक्षेप समान है।
अवयव 6 में किसी भी दिशा में धारा प्रवाहित नहीं होती। अवयव प्ब् है
यह ट्रांजिस्टर है
अवयव डायोड है

अवयव स्म्क् है
अवयव प्रतिरोध है

अवयव संधारित्र है

सावधानियाँ (Precautions) :
1. अवयव में प्रवाहित धारा की दिशा बदलने के लिए अवयव के सिरों को आपस में बदलते समय कुंजी से प्लग हटा लेना चाहिए।
2. प्रत्येक बार मिली अमीटर का धन टर्मिनल बैटरी के धनाग्र से जुड़ा होना चाहिए।

क्रियाकलाप (Activity)-3
उद्देश्य (object) – काँच के एक गुटके पर प्रकाश किरणें तिरछी आपतित होने पर अपवर्तन एवं पार्शि्वक विस्थापन का अध्ययन करना।
उपकरण (Apparatus) – काँच का आयताकार गुटका, ड्राइंग बोर्ड, बोर्ड पिनें, सफेद कागज, आलपिनें, स्केल ।
सिद्धान्त (Theory) – जब प्रकाश किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है तो वह अभिलम्ब की ओर मुड़ जाती है तथा जब प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तो वह अभिलम्ब से दूर हट जाती है। इसे प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
प्रकाश के अपवर्तन के निम्नलिखित दो नियम है
(i)आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब एक ही तल में होते हैं।
(ii)आपतन कोण की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण की. ज्या (sine) का अनुपात एक नियतांक होता है जिसे पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं।

चित्र में काँच के एक आयताकार गुटके PQRS से प्रकाश का अपवर्तन दिखाया गया है। इसमें प्रकाश का अपवर्तन दो समान्तर पृष्ठों च्फ तथा RS से होता है। प्रथम अपवर्तन, पृष्ठ PQ पर वायु से काँच में होता है तथा तिरछी आपतित प्रकाश किरण AB, आपतन बिन्दु B पर खींचे गये अभिलम्ब NN’ की ओर झुककर काँच के अन्दर BC दिशा में जाती है। BC अपवर्तित किरण है। दूसरा अपवर्तन, पृष्ठ RS पर काँच से वायु में किरण BC का होता है, जो आपतन बिन्दु C पर खींचे गये अभिलम्ब MM’ से दूर हटकर वायु में CD दिशा में निर्गत होती है। CD निर्गत किरण है।
चित्र से स्पष्ट है कि निर्गत किरण CD , आपतित किरण AB के समान्तर है। इनमें पार्श्व विस्थापन XY है, जहाँ XY आपतित किरण तथा निर्गत किरण के बीच की लम्बवत् दूरी है।
ज्यामिति से पार्श्व विस्थापन
XY = d = BC sin (i-r)
या पार्श्व विस्थापन d = t sec r sin (i-r)
जहाँ t काँच के गुटके की मोटाई है।

काँच के आयताकार गुटके से अपवर्तन
(चित्रानुसार ड्राइंग बोर्ड पर कागज लगाकर पृष्ठ 180-181 पर बताई गई विधि के अनुसार आपतित एवं अपवर्तित किरण बनायें तथा पार्श्व विस्थापन XY माप लें।)
परिणाम (Result)-
1.आपतित किरण OQ, अपवर्तित किरण QR तथा अभिलम्ब NN’ एक ही तल (कागज के तल) में हैं।
2.वायु से काँच में जाने पर प्रकाश किरण अभिलम्ब की ओर झुक जाती है तथा काँच से वायु में जाने पर प्रकाश किरण अभिलम्ब से दूर झुक जाती है।
3.आपतित किरण AO के लिए गुटके से अपवर्तन होने पर पार्शि्वक विस्थापन d = 1 सेमी प्राप्त होता है।।
सावधानियाँ (Precautions) –
प्रयोग के दौरान काँच का गुटका हिलना नहीं चाहिए।
पिने ऊर्ध्वाधर लगानी चाहिए तथा सावधानी से यह देख लेना चाहिए कि सभी पिनें एक सीध में हों।
पिन C व D लगाते समय पिनों के मध्य लम्बन पूर्णतः दूर कर लेना चाहिए।
गुटके का तल स्वच्छ एवं धब्बे रहित होना चाहिए।
गुटका आयताकार होना चाहिए।